Raaj Kumar Dialogues:
Raj Kumar or Raaj Kumar born as Kulbhushan Pandit, was an Indian film actor. He worked as sub-inspector of Mumbai Police in the late 1940s before he turned to act with the 1952 Hindi film Rangeeli.
राज कुमार के प्रसिद्ध डायलाग। राज कुमार आज हमारे बीच नहीं है लेकिंग उनके डॉयलोग आज भी सभी लोगो के बीच ज़िंदा है।ये डायलाग अमर बना गए है उनको। उनके ये डायलाग विरोधी बेइज्ज़ती से मर जाते थे! शुरू में ज्यादा फिल्में नहीं देख पाए राज कुमार बंबई पुलिस में सब-इंस्पेक्टर हुआ करते थे. 42 साल के करियर (1952-1995) में उन्होंने रोल भी पुलिस वालों, आर्मी ऑफिसर्स और ठाकुरों के किए. फिल्मों में अपने विलेन्स और विरोधियों को ऐसी लाइनें फेंक कर मारते थे कि सामने वाला ज़लालत से पहले ही मर जाता था
- जब राजेश्वर दोस्ती निभाता है तो अफसाने लिक्खे जाते हैं..
और जब दुश्मनी करता है तो तारीख़ बन जाती है
Movie: सौदागर
- चिनॉय सेठ, जिनके अपने घर शीशे के हों, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते.
Movie: Waqt
- जब ख़ून टपकता है तो जम जाता है, अपना निशान छोड़ जाता है, और
चीख़-चीख़कर पुकारता है कि मेरा इंतक़ाम लो, मेरा इंतक़ाम लो.
Movie:इंसानियत का देवता
- बिल्ली के दांत गिरे नहीं और चला शेर के मुंह में हाथ डालने. ये बद्तमीज हरकतें
अपने बाप के सामने घर के आंगन में करना, सड़कों पर नहीं.
Movie:बुलंदी
- हम अपने कदमों की आहट से हवा का रुख़ बदल देते हैं.
Movie: बेताज बादशाह
- जानी.. हम तुम्हे मारेंगे, और ज़रूर मारेंगे.. लेकिन वो बंदूक भी हमारी होगी,
गोली भी हमारी होगी और वक़्त भी हमारा होगा.
Movie: सौदागर
- हम वो कलेक्टर नहीं जिनका फूंक मारकर तबादला किया जा सकता है. कलेक्टरी तो हम शौक़ से करते हैं, रोज़ी-रोटी के लिए नहीं. दिल्ली तक बात मशहूर है कि राजपाल चौहान के हाथ में तंबाकू का पाइप और जेब में इस्तीफा रहता है. जिस रोज़ इस कुर्सी पर बैठकर हम इंसाफ नहीं कर सकेंगे, उस रोज़ हम इस कुर्सी को छोड़ देंगे. समझ गए चौधरी!
Movie: सूर्या
- हम कुत्तों से बात नहीं करते.
Movie: मरते दम तक
- हम तुम्हे वो मौत देंगे जो ना तो किसी कानून की किताब में लिखी होगी
और ना ही कभी किसी मुजरिम ने सोची होगी.
Movie: तिरंगा
- शेर को सांप और बिच्छू काटा नहीं करते..
दूर ही दूर से रेंगते हुए निकल जाते हैं.
Movie: सौदागर
- इस दुनिया में तुम पहले और आखिरी बदनसीब कमीने होगे, जिसकी ना तो अर्थी उठेगी और ना किसी कंधे का सहारा. सीधे चिता जलेगी.
Movie: मरते दम तक
- अपना तो उसूल है. पहले मुलाकात, फिर बात, और फिर अगर जरूरत पड़े तो लात
Movie: तिरंगा
- हम आंखों से सुरमा नहीं चुराते, हम आंखें ही चुरा लेते हैं.
Movie: तिरंगा
- ये बच्चों के खेलने की चीज़ नहीं,
हाथ कट जाए तो ख़ून निकल आता है
Movie: वक्त
- कौवा ऊंचाई पर बैठने से कबूतर नहीं बन जाता मिनिस्टर साहब! ये क्या हैं और क्या नहीं हैं ये तो वक्त ही दिखलाएगा.
Movie: पुलिस पब्लिक
- तुमने शायद वो कहावत नहीं सुनी महाकाल, कि जो दूसरों के लिए खड्डा खोदता है वो खुद ही उसमें गिरता है. और आज तक कभी नहीं सुना गया कि चूहों ने मिलकर शेर का शिकार किया हो. तुम हमारे सामने पहले भी चूहे थे और आज भी चूहे हो. चाहे वो कोर्ट का मैदान हो या मौत का जाल, जीत का टीका हमारे माथे ही लगा है हमेशा महाकाल. तुमने तो सिर्फ मौत के खड्डे खोदे हैं, जरा नजरें उठाओ और ऊपर देखो, हमने तुम्हारे लिए मौत के फरिश्ते बुला रखे हैं. जो तुम्हे उठाकर इन मौत के खड्डों में डाल देंगे और दफना देंगे.
Movie: जंग बाज़
- ना तलवार की धार से, ना गोलियों की बौछार से.. बंदा डरता है तो सिर्फ परवर दिगार से
Movies: तिरंगा
- जो भारी न हो.. वो दुश्मनी ही क्या
Movie: तिरंगा
- राजस्थान में हमारी भी ज़मीनात हैं. और तुम्हारी हैसियत के जमींदार,
हर सुबह हमें सलाम करने, हमारी हवेली पर आते रहते हैं.
Movie: सूर्या
तुमने कहा था की वक़्त तुम्हारी जेब में है, ऐसी वक़्ती जेबें काट भी जाया करतीं हैं