आंवला, बहेड़ा और हरड़। आयुर्वेद में इन्हें अमलकी, विभीतक और हरितकी कहा गया है। त्रिफला में इन तीनों को बीज निकाल कर समान मात्रा में चूर्ण बनाकर उपयोग किया जाता है। त्रिफला (Triphala) का सेवन रेडियोधर्मिता से भी बचाव करता है।
प्रयोगों में देखा गया है कि त्रिफला की खुराकों से गामा किरणों के रेडिएशन के प्रभाव से होने वाली अस्वस्थता के लक्षण भी नहीं पाए जाते हैं। इसीलिए त्रिफला चूर्ण आयुर्वेद का अनमोल उपहार कहा जाता है।
त्रिफला के अनगिनत फायदे है, कुछ फायेगे इस प्रकार है:
1. चर्म रोग
त्रिफला (triphala churna)चर्म रोग की समस्याओं को खत्म कर उन्हें पूरी तरह से ठीक कर देता है। अगर किसी को दाद, फोड़े-फुन्सी, खाज, खुजली है तो इसे ठीक करने के लिए ६ से ८ ग्राम त्रिफला चूर्ण का रोज सेवन करे इससे लाभ होता है त्रिफला बेहद प्रभावशाली है।
2. आंखों के लिए
ग्लूकोमा और मोतियाबिंद की बिमारियों के लक्षणों को कम करने में त्रिफला फायदेमंद है। अपनी कमजोर दृष्टि में सुधार पाने के लिए त्रिफला का नियमित रूप से सेवन करें। यह कमजोर दृष्टि में सुधार कर दृष्टि को तेज बनाता है।
3. गठिया विरोधी के रूप में
त्रिफला (Triphala)में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते है। इन गुणों के कारण गठिया से संबंधित लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।
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4. दांतों के लिए
त्रिफला के एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट और रोगाणुरोधी गुण दातों से जुड़ी समस्या को कम करते है। त्रिफला मसूड़ों की सूजन को ठीक करता है, दांतों में प्लाक बिल्डअप को धीमा करने में भी त्रिफला बहुत प्रभावी है।
5. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं
अगर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है तो बिमारियों को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। त्रिफला रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। अगर आपको कमजोरी रहती है तो इसका सेवन करे इससे शरीर को बिमारियों से लड़ने की शक्ति मिलेगी।
6. ब्लड प्रेशर नियंत्रण
ब्लड प्रेशर से संबंधित समस्या वाले लोगों को इसका सेवन जरूर करना चाहिए त्रिफला का सेवन सूजन को कम करने में मदद प्रदान करता है नमक के संपर्क में रहने वाली ब्लड वेसल्स ज्यादातर सीकुड़ जाती है। इसकी वजह से खून का बहाव तेज हो जाता है।
7. कब्ज में सुधार
जिन लोगों का यदि पाचन अच्छा नहीं होता है उनकी आंतों के मार्ग को अवरुद्ध उत्पन्न होता है। लम्बे समय तक कब्ज रहने से शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते है त्रिफला का सेवन मल त्याग को नियमित और आसान बनाता है इसके साथ ही शरीर की आंतों की मांसपेशियों को मजबूत भी करता है यदि रोज इसे पानी के साथ लिया जाये तो पेट फूलना, कब्ज और पेट दर्द को कम किया जा सकता है।
8. रोगाणुरोधी के रूप में
त्रिफला एक रोगाणुरोधी के रूप में कार्य करता है। इसमें रोगाणुरोधी और जीवाणुरोधी दोनों प्रकार की क्षमता होती है। एक शोध के अनुसार यह पाया गया की त्रिफला के एथेनॉलिक अर्क एचआईवी के मरीजों में बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं के खिलाफ कार्य करते है।
9. कैंसर विरोधी गुण के रूप में
प्रोस्टेट कैंसर पर किये गए अध्ययन के अनुसार सामने आया है कि त्रिफला में पाए जाने वाले गैलिक एसिड कैंसर विरोधी गतिविधि के लिए जिम्मेदार होते है। त्रिफला कई तरह के कैंसर लक्षणों को कम करता है।
10. गैस्ट्रिक छालों को ठीक करने में
जब पेट का एसिड वातावरण खराब होता है तब पेट में जलन सी लगने लगती है। जिसकी वजह से गैस्ट्रिक छालें हो जाते हैं। त्रिफला में ३ तरह के एंजाइम होते है। यह एंजाइम गैस्ट्रिक छालें में सुधार करते है। त्रिफला गैस्ट्रिक छालों को ठीक करती है और श्लेष्मा झिल्ली को भी मजबूत बनाती है।
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