दिल्ली के आगामी चुनावो को देखते हुआ बीजेपी और आम आदमी पार्टी में कड़ी लड़ाई देखने को मिल रही है। एक ओर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे है तो वही कांग्रेस पार्टी इस चुनावी लड़ाई में बहुत शांत दिखाई पड़ रही है।
ऐसा दिख रहा है की कांग्रेस पार्टी बिना की उत्साह के इस चुनाव में उतरी है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी के पास अपने खुद के कई कारण हैं कि उन्होंने पीछे न हटने और कई विषयों को चुनावी मुद्दा बनाने से अपने आप को रोका हुआ है। आम आदमी पार्टी सिर्फ जो पिछले पांच वर्षों में दिल्ली में काम किये हैं केवल उन्ही कामों को ज्यादा जोर दे रही है।

परन्तु कांग्रेस जैसी पार्टी , जिसने 2013 तक लगातार पंद्रह साल तक दिल्ली पर शासन किया और 2015 के चुनावों में दिल्ली में एक बहुत बड़ी हार का सामना किया हो। वह पार्टी अपने चुनावी अभियान में बिलकुल भी आक्रामक नही है यह देखकर बहुत आश्चर्य होता है।

शीला दीक्षित के निधन के बाद कोंग्रस पार्टी के पास दिल्ली में कोई बड़ा चेहरा नहीं है । अब ऐसा लगता है कि कांग्रेस आम आदमी पार्टी के खिलाफ उतनी आक्रामक नहीं है जितनी कि शुरुआत में हुआ करती थी।

लगता है जो महाराष्ट्रा में हुआ कांग्रेस पार्टी उसका इन्तजार कर रही है बीजेपी को दिल्ली की सत्ता से दूर रखने का।

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