देश के तमाम थिंक टैंक्स की तरह ही केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान का कहना है कि कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब विवाद- विवाद नहीं बल्कि साजिश है। इस साजिश में विदेशी खुफिया एजेंसियों का हाथ भी हो सकता है। सरकार को इस दिशा में सोचते हुए सख्त कदम उठाने चाहिए। ऐसे लोगों का पर्दाफाश कर देश के सामने लाना चाहिए। साथ ही मुस्लिम इंटलेक्चुअल्स से भी उन्होंने अपेक्षा कि वो इस साजिश में न फंसें और न अपनी बेटियों को इस साजिश की में फंसने दें।
आरिफ मोहम्मद ने कहा, ‘मुस्लिम लड़कियां हर जगह बहुत अच्छा कर रही हैं और इसलिए उन्हें प्रोत्साहन की जरूरत है। उन्हें नीचे धकेलने की जरूरत नहीं है।’ गवर्नर आरिफ मुहम्मद खान ने कुरान में हिजाब के जिक्र आने का संदर्भ भी समझाया।
किसी भी व्यक्ति का पहनावा विवाद का विषय नहीं होना चाहिए। यह व्यक्ति का अपना अधिकार है। शर्त सिर्फ इतनी है कि शालीनता होनी चाहिए। यह भी बात है कि आर्मी या पुलिस में भर्ती होने वाला यह नहीं कह सकता कि मैं जो चाहूंगा वो पहनूंगा। यह बात पुरुषों और महिलाओं दोनों पर लागू होती है।
उन्होंने कहा, ‘यह (हिजाब पहनना) पसंद का सवाल नहीं है, बल्कि यह सवाल है कि अगर आप किसी संस्थान में शामिल हो रहे हैं तो क्या आप नियमों, अनुशासन और ड्रेस कोड का पालन करेंगे या नहीं।’
आरिफ मुहम्मद खानने कहा कि हिजाब का शब्द कुरान मेंमहिलाओं की वेशभूषा के संदर्भ में नहीं हुआ है। उसके लिए खिमार (गमछा) का प्रयोग हुआ है जो छोटा भी हो सकता है और बड़ा भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि ध्यान रखिए उस समय समाज में दो वर्ग होते थे- आजाद और गुलाम। गुलाम महिलाएं होती थीं, उनके साथ लोग बदतमीजी करते थे और उन पर अपना हक समझते थे। ऐसा किसी आजाद महिला के साथ भी हुआ, तो छेड़ने वालों ने कहा कि उन्होंने उसे गुलाम समझ लिया था। ऐसे में कुरान में एक आयत आई जिसमें कहा गया कि खिमार को अपनी कमीज पर डाल लो, उसका मतलब यह था कि उसे चेस्ट पर रख लो ताकि तुम पहचानी जा सको। यानी तुम गुलाम नहीं हो। इसमें संदेश यह था कि जिस पर्दे की बात कुरान कर रहा है वह महिलाओं की पहचान को बनाने में मददगार साबित हो।
राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान ने कहा है कि इस्लाम के इतिहास पर गौर किया जाए तो महिलाओं के पर्दा करने से इनकार करने के उदाहरण रहे हैं। हालांकि, उन्होंने खुलकर अपनी राय जाहिर नहीं की लेकिन अपनी बात रखने के लिए एक युवा महिला की कहानी सुनाई, जो पैंगबर की रिश्तेदार बताई जाती है।
खान ने पत्रकारों से कहा, ‘मैं आपको एक बात बताऊंगा…एक युवा लड़की, जो पैगंबर के घर में पली-बढ़ी थी… वह पैगंबर की पत्नी की रिश्तेदार थीं। वह काफी सुंदर थी…इतिहास यही कहता है…इसे पढ़िए।’
कहानी के हवाले से उन्होंने कहा कि मध्यकाल में जब उस महिला का पति कूफा का गवर्नर था तो उसे हिजाब न पहनने के लिए फटकार लगाई गई थी। उसने तब कहा था कि अल्लाह ने उसे खूबसूरत बनाया और अल्लाह ने उस पर खूबसूरती की मुहर लगा दी थी।
खान ने कहा, ‘उसने कहा कि मैं चाहती हूं कि लोग मेरी सुंदरता देखे और मेरी सुदंरता में अल्लाह का रहम देखे…और अल्लाह का शुक्रगुजार रहे…इस्लाम की पहली पीढ़ी की महिलाओं की यह सोच थी। मैं यही कहना चाहता हूं।’
ध्यान रहे मुस्लिम देश तुर्की और मिस्र में बुर्का और नकाब के खिलाफ व्यापक आंदोलन चलाया और बुर्का पहनने से इंकार दिया। सरकार को भी झुका दिया। तुर्की और मिस्र जैसे तमाम मुस्लिम देशों की महिलाएं बुर्का या नकाब नहीं पहनती हैं। वो मॉडर्न मुस्लिम हैं। अब तो सऊदी अरब में तमाम रूढियों को खत्म किया जा रहा है। महिलाएं सड़कों पर, रेस्टोरेंट-होटलों और दफ्तरों में बिना नकाब के मिल जाती हैं। केवल तालिबान और पाकिस्तान के कुछ कट्टरपंथी नकाब और हिजाब के समर्थक हैं। भारत की मुस्लिम लड़कियों को सोचना चाहिए कि उन्हें अपने आस-पास तालिबान और कठमुल्लापंथी पाकिस्तानी माहौल बनाना है या भारत का शालीन और सभ्य माहौल में वो रहना पसंद करेंगी। मुस्लिम महिलाओं को इस साजिश को खत्म कर देना चाहिए। ठीक वैसे ही जैसे सुबही खान जैसी महिलाएं आगे आई हुई हैं। ये प्रगतिशील महिलाएं इस मुहिम में जुटी हुई हैं किसी भी साजिश को सफल न होने दिया जाए।
Credit: Indianarrative
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