धनतेरस के दिन से दीपावली का उत्सव शुरू हो जाता है। धनतेरस को संस्कृत में धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस शब्द दो शब्दों ‘धनी’ से बना है जिसका अर्थ है धन और ‘तेरस’ का अर्थ है तेरह।
धनतेरस की पौराणिक कथा
धनतेरस के दिन धनकुबेर और धनवंतरी देव की पूजा होती है, इसलिये इस त्योहार को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस मनाने की कई पौराणिक कथाएं प्रसिद्ध हैं। उनमें से एक है समुद्र मंथन की कथा। समुद्र मंथन की पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन ही भगवान धनवंतरी अमृत कलश ले कर समुद्र से प्रकट हुए थे। इसलिए उनके अवतरण दिवस के रूप में धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है और उनका पूजन होता है। भगवान धनवंतरी को औषधि और चिकित्सा का देवता माना जाता है। वो स्वयं भगवान विष्णु का अंशावतार है और संपूर्ण संसार को आरोग्य प्रदान करते हैं।
धनतेरस का महत्व
हिंदू धर्म के लोगों का यह दृढ़ विश्वास है कि धनतेरस के शुभ दिन पर सोने/चांदी के आभूषण या बर्तन खरीदने से घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है। ऐसा माना जाता है कि सोने या चांदी की खरीदारी नकारात्मकता और दुर्भाग्य को भी दूर करती है। इस दिन न केवल आभूषण या बर्तन बल्कि लोग संपत्ति और अन्य संपत्ति खरीदने में भी निवेश करते हैं।
इसके साथ ही धनतेरस मनाने के पीछे भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा का भी उल्लेख आता है। भागवत पुराण के अनुसार धनतेरस के दिन ही वामन अवतार ने असुराज बलि से दान में तीनों लोक मांग कर देवताओं को उनकी खोई हुई संपत्ति और स्वर्ग प्रदान किया था। इसी उपलक्ष्य में देवताओं नें धनतेरस का पर्व मनाया था।
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2021 Puja Shubh Muhurat):
Shubh Muhurat and city-wise Dhantrayodashi timings according to Drik Panchang
Dhanteras, also known as Dhantrayodashi, will kickstart five-day long Diwali celebrations on Tuesday, October 29. Dhanteras Puja Muhurat – 7:00 PM to 8:49 PM