Mehandipur Balaji Mandir: मेहंदीपुर बालाजी का प्रसाद आखिर घर क्यों नहीं लाया जाता है?

Mehandipur Balaji Mandir: हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि बालाजी के दरबार से कोई भी भक्त खाली हाथ कभी नहीं लौटता है। इसके अलावा बालाजी लोगों के अंदर से हर नकारात्मक शक्तियों को दूर भगा देते हैं। तो चलिए आज जानते मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के बारे से जुड़ी मान्यताएं और यहां के नियम के बारे में।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में है। यह मंदिर करीब दो पहाड़ियों के बीच में स्थित है इस मंदिर से जुड़ी प्रचलित मान्यता यह है कि यहां हर तरह के जादू-टोना और भूत-प्रेत बाधाओं से व्यक्ति को छुटकारा मिल सकता है। मगर यहां पर अर्जी लगानी पड़ती है जिसके लिए लंबी लाइन लगी रहती है। यहां हर दिन 2 बजे मंदिर में कीर्तन किया जाता है उसके बाद जो लोग नकारात्मक शक्तियां और ऊपरी चक्कर से पीड़ित है उन्हें इन सब से मुक्त कराया जाता है।

पीछे देखने की होती है मनाही

इस प्राचीन मंदिर में दो तरह के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। एक दर्खावस्त और दूसरी अर्जी। दर्खावस्त का मतलब होता है अर्जी। इस प्रसाद को दो बार खरीदा जाता है। वहीं अर्जी में 3 थालियों में प्रसाद दिया जाता है। दर्खावस्त का प्रसाद चढ़ाने के बाद वहां से तुरंत निकलना पड़ता। वहीं अर्जी के प्रसाद को लौटते समय पीछे फेंकने की प्रथा है। मान्यताओं के अनुसार, प्रसाद को फेंकने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। अर्जी वालों को प्रसाद लौटते समय दिया जाता है।

प्रसाद क्यों नहीं लाया जाता घर

ज्यादातर मंदिरों का प्रसाद घर लाना अच्छा माना जाता है, मगर मेहंदीपुर बालाजी से प्रसाद घर लाने की मनाही होती है। दरअसल, यह मंदिर भूत-प्रेत जैसी बाधाओं से मुक्ति के लिए जाना जाता है। तो कहा जाता है कि अगर यहां का प्रसाद कोई खा लें या अपने साथ घर ले जाए तो उसपर नकारात्मक शक्तियां हावी हो जाती है।

मंदिर से जुड़े कुछ जरूरी नियम

-मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन के बाद प्रभु राम और माता सीता के दर्शन जरूर करें।
-बालाजी के दरबार में आने से करीब एक सप्ताह पहले प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा का सेवन बंद कर दें।
-बालाजी की आरती के समय सिर्फ भगवान की तरफ ही देखें।
-आरती के समय पीछे मुड़ना या किसी की आवाज सुन कर पीछे नहीं देखना चाहिए।
-प्रसाद के साथ ही कोई भी खाने-पीने की या अन्य चीजों को भी साथ ले जाना निषेध है।

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